Option Trading क्या है: What is Call , Put , Lot Size और कैसे करें Trading
Option trading निवेशकों या Trader के लिए एक शक्तिशाली System है, जिससे वे अपने पोर्टफोलियो को विविध बना सकते हैं, जोखिम प्रबंधित कर सकते हैं, और बाजार में नए अवसरों का लाभ उठा सकते हैं। इस ब्लॉग में हम ऑप्शन ट्रेडिंग की बुनियादी जानकारी जैसे कॉल ऑप्शन, पुट ऑप्शन, लॉट साइज, कैसे ट्रेड करें, और इससे जुड़े Risk पर चर्चा करेंगे।
Option Trading क्या है?
Option एक प्रकार का वित्तीय (Financial) डेरिवेटिव (Derivative) है जो धारक(Holder) को एक निश्चित समय सीमा(Time period) के भीतर किसी संपत्ति (Stock) को एक निश्चित कीमत (Stock price) पर खरीदने (Buy) या बेचने (Sell) का अधिकार देता है, लेकिन उसे यह करने की बाध्यता नहीं होती।
Option दो प्रकार के होते हैं: कॉल ऑप्शन (Call Option) और पुट ऑप्शन (Put Option)
कॉल ऑप्शन (Call Option) : कीमत बढ़ने की उम्मीद
कॉल ऑप्शन उस स्थिति में खरीदा जाता है जब आपको लगता है कि किसी संपत्ति (जैसे स्टॉक) , Bank Nifty , Nifty , Sensex की कीमत बढ़ेगी।
यह आपको संपत्ति (Share) को एक निश्चित स्ट्राइक प्राइस पर खरीदने का अधिकार देता है।
यदि संपत्ति की कीमत स्ट्राइक प्राइस से ऊपर जाती है, तो आप कम कीमत पर खरीदकर मुनाफा कमा सकते हैं।
उदाहरण के लिए, अगर आपने एक स्टॉक पर ₹1,000 के स्ट्राइक प्राइस वाला कॉल ऑप्शन खरीदा है और स्टॉक की कीमत ₹1,200 हो जाती है, तो आप ₹1,000 पर स्टॉक खरीदकर ₹200 का मुनाफा कमा सकते हैं (प्रिमियम और अन्य शुल्क घटाने के बाद)।
पुट ऑप्शन (Put Option) : कीमत गिरने की उम्मीद
पुट ऑप्शन (Put Option) उस स्थिति में खरीदा जाता है जब आपको लगता है कि किसी संपत्ति या Share जैसे की Bank Nifty , Nifty , Sensex की कीमत गिरेगी।
यह आपको संपत्ति को एक निश्चित स्ट्राइक प्राइस पर बेचने का अधिकार देता है।
यदि संपत्ति की कीमत स्ट्राइक प्राइस से नीचे जाती है, तो आप उसे ऊंची कीमत पर बेचकर लाभ कमा सकते हैं।
उदाहरण के लिए, अगर आपने ₹1,000 के स्ट्राइक प्राइस पर एक पुट ऑप्शन खरीदा है और स्टॉक की कीमत ₹800 हो जाती है, तो आप स्टॉक को ₹1,000 पर बेचकर ₹200 का लाभ कमा सकते हैं।
Lot Size क्या है?
स्टॉक मार्केट में ऑप्शन लॉट्स (Lots) में ट्रेड किए जाते हैं, जिसका मतलब है कि आप एक-एक यूनिट (जैसे एक शेयर) में ट्रेड नहीं करते, बल्कि आप एक निश्चित संख्या में शेयरों का एक समूह खरीदते या बेचते हैं, जिसे लॉट साइज कहा जाता है।
भारत के शेयर बाजार में ऑप्शन ट्रेडिंग के लिए लॉट साइज आमतौर पर Nifty fifty 50, Sensex 10 , Bank Nifty 15 शेयर होते हैं, और ये स्टॉक के हिसाब से अलग-अलग हो सकते हैं।
उदाहरण के लिए, अगर किसी स्टॉक का लॉट साइज 15 शेयर है, तो एक ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट खरीदने का मतलब है कि आप 15 शेयरों के अधिकार खरीद रहे हैं।
Expiry क्या होता है?
Option trading में अगर आप Trading करते हैं तो आपको यह बात जान लेनी चाहिए की प्रत्येक Option की Expiry होती है जैसे साप्ताहिक (Weekly) यानी 7 दिन तक उस Share को Hold कर सकते हैं
Option Trading कैसे करें?
यहां ऑप्शन ट्रेडिंग करने के लिए एक सरल प्रक्रिया दी गई है:
- सही Trading प्लेटफार्म चुनें
Option Trading के लिए आपको एक ब्रोकरेज अकाउंट (Broker) की आवश्यकता होती है जो ऑप्शन ट्रेडिंग की सुविधा देता हो। Zerodha , Upstox , Groww जैसी प्लेटफार्म इस सेवा की पेशकश करते हैं।
- Market की स्थितियों को समझें
Option खरीदने से पहले, उस संपत्ति या बाजार का विश्लेषण करें जिसमें आप निवेश करना चाहते हैं। तकनीकी (Technical) और बुनियादी(Fundamental) विश्लेषण का उपयोग करके मूल्य में बढ़ोतरी या गिरावट की भविष्यवाणी करें।
- Call या Put चुनें
अगर आपको लगता है कि संपत्ति की कीमत बढ़ेगी, तो Call ऑप्शन खरीदें।
अगर आपको लगता है कि संपत्ति की कीमत गिरेगी, तो Put ऑप्शन खरीदें।
- Strike Price चुनें
एक ऐसा स्ट्राइक प्राइस चुनें जो आपकी उम्मीद के मुताबिक कीमत से ऊपर (कॉल के लिए) या नीचे (पुट के लिए) हो।
- Primium का भुगतान करें
Primium वह राशि होती है जो आपको Option खरीदने के लिए चुकानी होती है। यह कई कारकों पर निर्भर करता है जैसे संपत्ति की मौजूदा कीमत, स्ट्राइक प्राइस, समय सीमा, और बाजार की अस्थिरता।
- Trade को मॉनिटर करें और बाहर निकलें
आप किसी भी समय ऑप्शन को बेच सकते हैं या इसे समाप्ति तक पकड़ सकते हैं।
अगर ऑप्शन लाभ में है, तो आप इसे बेच सकते हैं।
अगर बाजार आपके अनुकूल नहीं है, तो आप प्रिमियम खो सकते हैं।
- समाप्ति और निपटान (Market Expiry) :
समाप्ति के दिन यदि ऑप्शन इन-द-मनी (लाभ में) है, तो इसे ऑटोमेटिक रूप से एक्सरसाइज किया जाएगा। आउट-ऑफ-द-मनी (लॉस में) ऑप्शन का कोई मूल्य नहीं होता और यह समाप्त हो जाता है।
ऑप्शन ट्रेडिंग में जोखिम (Risk in Option Trading)
ऑप्शन ट्रेडिंग से जुड़े जोखिमों को समझना बहुत जरूरी है:
सीमित नुकसान: ऑप्शन खरीदने पर आपका अधिकतम नुकसान केवल प्रिमियम तक सीमित होता है।
अधिक लीवरेज: कम पूंजी के साथ बड़े पदों को नियंत्रित करने की क्षमता होती है।
समय क्षय (Time Decay): ऑप्शन समाप्ति के नजदीक आने पर इसकी वैल्यू घटती है, जो आपके लाभ को प्रभावित कर सकती है।
बाजार की अस्थिरता: अप्रत्याशित बाजार मूवमेंट से अचानक नुकसान हो सकता है।
निष्कर्ष
ऑप्शन ट्रेडिंग एक अच्छा तरीका हो सकता है बाजार के उतार-चढ़ाव से फायदा उठाने का, लेकिन इसके लिए ज्ञान और योजना की आवश्यकता होती है। यदि आप शुरुआत कर रहे हैं, तो एक छोटे पैमाने पर शुरुआत करें और जोखिम प्रबंधन पर ध्यान दें।
हमेशा अपनी ट्रेडिंग रणनीति को मजबूत करने के लिए अभ्यास करें, और अगर आपके पास कोई सवाल हैं तो नीचे कमेंट में पूछ सकते हैं!